बच्चों को कम प्रभावित कर रहा है कोविड-19, जानें शोध में क्यों कही गई ये बात

 बच्चों को कम प्रभावित कर रहा है कोविड-19, जानें शोध में क्यों कही गई ये बात

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस (Coronavirus) के मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती चली रही है। इसकी वजह से लोगों में इस महामारी के लिए डर बैठता चला जा रहा है और लोगों के मन में सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर इसका अंत कब होगा। ये महामारी सभी के लिए खतरनाक है। इसलिए सरकार भी बच्चों से लेकर बूजुर्गों तक को एडवाइजरी जारी करके सावधान रहने की बात लगातार कर रही है। वहीं इस पर एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि ये वायरस बच्चों पर कम असर कर रहा है। जी हां अध्ययन में पाया गया है कि 18 वर्ष से कम उम्र के टीनएजर्स मरीज मामूली रूप से बीमार पड़ते हैं और उनकी जान जाने के मामले भी बहुत ही कम हैं। कई देशों के 582 बच्चों एवं किशोरों पर किए गए पहले अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है।

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ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं (Researchers) द्वारा किए गए अध्ययन (Study) में पाया गया है कि भले ही ज्यादातर को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है, लेकिन 10 में से एक ही मरीज को आईसीयू में इलाज कराने की जरूरत पड़ती है। इस अध्ययन में तीन दिन से लेकर 18 साल के बच्चों एवं किशोरों को शामिल किया गया।

अनुसंधानकर्ता अध्ययन में शामिल किए गए बच्चों की संख्या को बड़ी आबादी के परिप्रेक्ष्य में देखे जाने के खिलाफ आगाह करते हैं। बहरहाल, उनका कहना है कि उनके अध्ययन के परिणामों पर उस वक्त विचार किया जाना चाहिए, जब वैश्विक महामारी का प्रकोप बढ़ने के बाद गहन देखभाल सेवाओं की मांग के लिए योजना बनाई जा रही हो।

अध्ययन के प्रमुख लेखक मार्क टेब्रूगे ने कहा, “हमारा अध्ययन बच्चों एवं किशोरों में कोविड-19 का अब तक का सबसे व्यापक अवलोकन उपलब्ध कराता है।

उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर ज्यादातर बच्चे एवं किशोर मामूली रूप से बीमार पड़ते हैं। इसके बावजूद, खासा संख्या में बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं और उन्हें आईसीयू में रखने की जरूरत होती है। इस बात को उस वक्त ध्यान में रखना चाहिए, जब वैश्विक महामारी का प्रकोप बढ़ने से स्वास्थ्य सेवा संसाधनों की योजना बनाई जा रही हो और उन्हें प्राथमिकता दी जा रही है।

यह अध्ययन यूरोप में कोविड-19 महामारी की शुरुआत में चरम पर रहने के दौरान एक अप्रैल से 24 अप्रैल तक किया गया। यह अनुसंधान द लांसेट चाइल्ड एंड एडोलेसेंट हेल्थपत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

 

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